डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है? परिभाषा, प्रयोग- Delivery Trading In Hindi

शेयर बाजार की कुछ महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक है डिलीवरी ट्रेडिंग l यह स्टॉक मार्केट में निवेशकों और ट्रेडर्स के द्वारा अपनाई जाने वाली एक अतयंत ही महत्वपूर्ण विधि है l स्टॉक मार्केट से सम्बन्धित सभी लोगो के लिए इस प्रक्रिया की समझ होना अति आवश्यक है l इसलिए आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हम डिलीवरी ट्रेडिंग को विस्तार से समझेंगे l हम जानने की कोशिश करेंगे की डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है(Delivery Trading In Hindi), यह कैसे काम करता है, इसके प्रयोग के लाभ और नुकसान क्या है और इससे जुडी हुई कुछ महत्वपूर्ण विषयो पर चर्चा करेंगे l

Delivery Trading In Hindi
Delivery Trading In Hindi

Ι डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है? (What Is Delivery Trading In Hindi)

डिलीवरी ट्रेडिंग को अगर आसान भाषा में समझे तो, यह और कुछ नहीं शेयर बाजार में निवेश करनी की एक प्रमुख विधि है l इस प्रक्रिया में जब निवेशक या ट्रेडर्स किसी कंपनी के शेयर को खरीदते है तब उन्हें जल्दी बेचने की बजाय उसे एक निश्चित अवधी तक अपने पास रखते है है, यानि की उसे होल्ड करते है l और ये प्रक्रिया एक निवेशक द्वारा तब तक की जाती है जब तक की उन्हें उनका टारगेट नहीं मिल जाता, मतलब की उन्हें अपने निवेश पर एक अच्छी रिटर्न मिलने तक वे उसे होल्ड करते है l

डिलीवरी ट्रेडिंग की प्रक्रिया में ट्रेडर्स या निवेशक किसी कंपनी के शेयर को स्टॉक एक्सचेंज से खरीदते है और उसे होल्ड करने के लिए वे अपने डीमैट अकाउंट का प्रयोग करते है l इसका फायदा यह होता है की जब कोई निवेशक किसी कंपनी के शेयर को खरीदता है तब वह उस कंपनी के फायदे और नुकसान का हिस्सेदार बन जाता है और जब तक वह उन शेयर्स को अपने पास होल्ड कर के रखता है और उस समय में अगर कंपनी मुनाफा करती है, तब वह उसका हिस्सेदार होता है जो की उसे डिविडेंड के रूप में प्राप्त होता है l

यह प्रक्रिया इंट्राडे ट्रेडिंग से बिलकुल अलग होती है l क्योकि इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर्स को खरीदने के बाद उन्हें उसी दिन बेचना पड़ता है, लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में ऐसा नहीं है l

इस समय तक हमने जाना की डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है?(what is delivery trading in hindi) आइये अब जानते है की इसमें निवेश कैसे कर सकते है l

Ι डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश के नियम (Delivery Trading Rules In Hindi)

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करना बहुत आसान है l इसके लिए आपको कुछ प्रक्रियाओं पर विशेष ध्यान देना होगा l वे सभी प्रक्रियाएँ निम्लिखित है:-

1. कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करे

डिलीवरी ट्रेडिंग का सबसे पहला और सबसे मुख्य चरण होता है फंडामेंटल एनालिसिस l अगर आप डिलीवरी ट्रेडिंग करना चाहते है तो सबसे पहले आपको कंपनियों के फंडामेंटल पर ध्यान देना होगा l फंडामेंटल एनालिसिस की मदद से आप निवेश करने के लिए कुछ अच्छी कंपनियों का चयन कर सकते है l किसी भी कंपनी के फंडामेंटल्स , जैसे की उस कंपनी का व्यापार क्षेत्र, उसका टर्नओवर, प्रॉफिट-लॉस , उसके भविष्य में विकास की संभावना आदि को विस्तार से समझ सकते है, जिससे की आपको एक बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी l

2. स्टॉक एक्सचेंज का चयन

किसी भी कंपनी के शेयर्स को खरीदने के लिए आपको एक्सचेंज की मदद लेनी पड़ती है l क्योकि ये सभी कंपनियां इन्ही स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होती है l भारत के दो सबसे प्रमुख एक्सचेंज है NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) और BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) l आप अपने शेयर्स की डिलीवरी इन एक्सचेंजो से ले सकते है l

3. शेयर खरीदे

कंपनी के चयन के बाद अब बारी आती है उस कंपनी के शेयर्स खरीदने की जो की आप अपने डीमैट अकाउंट की मदद से आसानी से कर सकते है l शेयर्स खरीदने के बाद वो शेयर आपके डीमैट अकाउंट में दो दिनों में जमा जाते है l

4. स्टॉप लॉस और टारगेट सेट करे 

शेयर्स की खरीदारी के बाद आपका मुख्य काम अपना स्टॉप लॉस और टारगेट तय करना होना चाहिए l स्टॉप लॉस आपके हानि की सीमा होती है जहा तक जाने पर आपका ब्रोकर आपके पोजीशन को ऑटोमैटिक कट कर देता है l और टारगेट वह पॉइंट होता है जहा तक के प्रॉफिट होने पर आपका ब्रोकर आपके पोजीशन को काट देता है l

5. पोजीशन को होल्ड करे

अब आपकी प्रक्रिया यह होनी चाहिए की आप अपने पोजीशन यानि की उन शेयर्स को होल्ड करे l और ऐसा तब तक करे जब तक मार्केट आपके टारगेट तक नहीं पहुंच जाता और आपको अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता l

6. सही समय पर बेच दे

अब आपका सबसे अंतिम कदम यह होगा की जब आपका टारगेट पूरा हो जाये या आप मार्केट द्वारा दिए जाने वाले रिटर्न से सन्तुष्ट हो जाये तब उन शेयर्स को अपने डीमैट अकाउंट की सहायता से बेच दे l इस प्रकार आप डिलीवरी ट्रेडिंग में प्रॉफिट कमा सकते है l

अभी हमने यह जाना की डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है (Delivery trading in hindi), और इसमें निवेश कैसे कर सकते है? चलिए अब जानते है की आप डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश किन-किन प्रकारो से कर सकते है, और वे सभी प्रकार निचे निम्नलिखित है l

इनके बारे में विस्तार से जानने के लिए इनके ऊपर क्लिक करे l

Ι इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी ट्रेडिंग में अंतर (Difference Between Intraday trading And Delivery Trading In Hindi)

इस लेख में यहाँ तक हमलोगो ने यह जाना की डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है(delivery trading meaning in hindi) और इसमें निवेश कैसे कर सकते है? चलिए अब जानते है की डिलीवरी ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग के बिच क्या अंतर होता है l

डिलीवरी ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग के बिच का मुख्य अंतर निचे चार्ट में दिया गया है:-

विशेषताएँ डिलीवरी ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग
समयावधि शेयर को लंबे समय तक होल्ड किया जा सकता है शेयर को उसी दिन खरीदकर बेचना होता है
शेयर का स्वामित्व शेयर निवेशक के डिमैट अकाउंट में जमा हो जाते हैं शेयर का स्वामित्व नहीं मिलता, केवल कीमत के अंतर से लाभ कमाते हैं
निवेश का उद्देश्य लंबी अवधि के लिए निवेश और मूल्यवृद्धि का लाभ त्वरित मुनाफा कमाने के लिए दैनिक व्यापार
जोखिम कम जोखिम, क्योंकि शेयर को लंबे समय तक होल्ड किया जा सकता है उच्च जोखिम, क्योंकि तुरंत ही कीमतों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है
मार्जिन सुविधा सीमित या कोई मार्जिन सुविधा नहीं मार्जिन के साथ ट्रेडिंग संभव, जिससे कम निवेश में बड़े लेनदेन कर सकते हैं
ट्रेडिंग शुल्क थोड़े अधिक, क्योंकि होल्डिंग पर डीमैट चार्ज भी लागू हो सकते हैं अपेक्षाकृत कम, क्योंकि शेयर को होल्ड नहीं करना पड़ता
लाभांश का लाभ हां, निवेशक को डिविडेंड और बोनस जैसे लाभ मिलते हैं नहीं, क्योंकि शेयर होल्ड नहीं किए जाते
लाभ कमाने का तरीका शेयर की कीमत बढ़ने पर उसे बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है शेयर की खरीद मूल्य और बेचने मूल्य के बीच का अंतर मुनाफा बनता है
ट्रेडिंग शैली दीर्घकालिक निवेश अल्पकालिक ट्रेडिंग
उदाहरण यदि किसी ने TCS के शेयर खरीदे और 5 वर्षों तक होल्ड किया यदि किसी ने TCS के शेयर सुबह खरीदे और उसी दिन बेच दिए

इस चार्ट की मदद से आप ये जान सकते है की इंट्राडे और डिलीवरी ट्रेडिंग दोनों अलग-अलग उद्देश्यों से की जाने वाली ट्रेडिंग है l

इस महत्वपूर्ण लेख में हम अब तक जान चुके है की डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है(what is delivery trading in hindi), इसमें निवेश कैसे करते है और यह इंट्राडे ट्रेडिंग से कैसे अलग है? आइये अब डिलीवरी ट्रेडिंग के लाभ और नुकसान के बारे में चर्चा करते है l

delivery trading in hindi
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Ι डिलीवरी ट्रेडिंग के लाभ (Benifits Of Delivery Trading In Hindi)

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश से होने वाले लाभ कुछ इस प्रकार है:-

1. लाभांश (Dividend)

लाभांश एक ऐसा लाभ है जो लगभग हर डिलीवरी ट्रेडर को प्राप्त होता है जब उसने जिस कंपनी के शेयर्स ख़रीदे है वो कंपनी अच्छी कमाई करे l जब कोई भी कंपनी मुनाफा कमाती है तो वह अपने शेयरहोल्डर्स को अपनी कमाई कुछ छोटा सा हिस्सा देती है जिसे की डिविडेंड कहा जाता है l यह अतिरिक्त कमाई के रूप में होता है l

2. लम्बी अवधी का लाभ

निवेशक जब डिलीवरी ट्रेडिंग करते है तो उनका मुख्य उद्देश्य होता है शेयर्स को लम्बे समय के लिए होल्ड करना l अगर वे एक अच्छी कंपनी का चुनाव करके उसमे अपने शेयर्स को लम्बी अवधी के लिए होल्ड करते है तो उस कंपनी के शेयर्स की कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ ही उनका मुनाफा भी बढ़ता जाता है l इसलिए डिलीवरी ट्रेडिंग को लम्बी अवधी के लिए एक अच्छा निवेश माना जाता है l

3. कम जोखिम

डिलीवरी ट्रेडिंग का एक मुख्य लाभ यह भी होता है की इसमें जोखिम इंट्राडे ट्रेडिंग के मुकाबले काफी कम होता है l इसका मुख्य कारण है शेयर्स को लम्बे समय तक होल्ड करना, जिससे की मार्केट में होने वाले छोटे-छोटे उतार-चढाव का आपके ऊपर प्रभाव नहीं पड़ता है l

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश से होने वाले कुछ खतरों के बारे में निचे बताया गया है:-

1. मार्केट का खतरा

मार्केट रिस्क डिलीवरी ट्रेडिंग का सबसे बड़ा खतरा होता है l हमने मार्केट में बहुत बड़ी-बड़ी गिरावटें देखी है जो की बिलकुल अनिश्चित होती है l अगर किसी कारन से स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट आ जाती है, तो इससे निवेशकों के शेयरों की कीमत घट जाती है l इसका हमारे निवेश पर बहुत गहरा असर पड़ता है और निवेशक इससे अपना पैसा खो सकते है l

2. कंपनी का प्रदर्शन

जैसा की हमें पता है शेयरों की कीमत मुख्य रूप से कंपनी के प्रदर्शन के ऊपर निर्भर करती है l अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन न करे तो उसके शेयर की कीमत में गिरावट आ जाती है जिससे की निवेशकों को नुकसान हो सकता है l इसलिए कंपनियों के प्रदर्शन का डिलीवरी ट्रेडिंग में ध्यान रखना बहुत जरुरी है l

3. लिक्विडिटी का रिस्क

मार्केट में कुछ कम्पनियाँ ऐसी भी होती है जिनमे लिक्विडिटी बहुत कम होती है l लिक्विडिटी का मतलब होता है उस कंपनी के शेयर्स की खरीद बिक्री करने वाले निवेशकों की संख्या l जिसकी वजह से अगर आपको तत्काल पैसे की जरुरत हो तो आप उस शेयर्स को जल्दी नहीं बेच पाएंगे l

निष्कर्ष

डिलीवरी ट्रेडिंग, लम्बी अवधी के निवेशकों के लिए काफी सुरक्षित और लाभदायक है l यह बाजार को स्थिर बनाये रखता है और कंपनी के लाभांश और शेयर की कीमतों में वृद्धि करता है l डिलीवरी ट्रेडिंग एक ऐसा माध्यम है जिसमे अगर आप धैर्य और अच्छी रणनीति से निवेश करेंगे तो यह आपको बहुत अच्छा लाभ प्रदान कर सकता है l हालाँकि इसके कुछ जोखिम भी होते है पर अगर आप इसके नियमो का अनुशासन से पालन करे तो आप इसके जोखिम को काम कर के ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकते है l

मै आशा करता हु की ऊपर दी गयी जानकारी से आपको डिलीवरी ट्रेडिंग(delivery trading meaning in hindi) के बारे में जानने में सहायता मिली होगी l इसी प्रकार की शेयर मार्केट और ट्रेडिंग से जुडी हुई ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग wealthpre को सब्सक्राइब करे l

Ι अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ’s)

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है?

डिलीवरी ट्रेडिंग एक ऐसे प्रकार की ट्रेडिंग है जिसमे निवेशक किसी कंपनी के शेयर्स खरीदने के बाद उसे जल्दी न बेचकर लम्बे समय तक उसे होल्ड करते है l और जब उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है तब जाकर वे उसे बेच देते है l

डिलीवरी ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग के बिच क्या अंतर होता है?

डिलीवरी ट्रेडिंग में इंट्राडे की तरह शेयर्स को बेचने की कोई सीमा तय नहीं होती है l इसमें निवेशक जितने दिनों तक चाहे शेयर्स को होल्ड कर सकते है l जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको वो शेयर्स एक दिन के अंदर बेचने होते है l

डिलीवरी ट्रेडिंग करने का सबसे अच्छा समय कब होता है?

डिलीवरी ट्रेडिंग करने का सबसे अच्छा समय तब होता है जब बाजार में काफी स्थिरता हो और कम्पनियाँ अच्छा प्रदर्शन कर रही हो l

क्या डिलीवरी ट्रेडिंग में ज्यादा फीस लगती है?

चुकि इसमें शेयर्स को काफी दिनों तक होल्ड करने की सुविधा होती है इसलिए इसमें इंट्राडे के मुकाबले थोड़ा ज्यादा चार्ज लगता है l

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