भारतीय स्टॉक मार्केट भारत के वित्तीय प्रणाली का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है l और जब बात शेयर बाजार की होती है, तो ऐसी बहुत सी चीज़े होती है जिनके बारे में जानना एक शुरुआती ट्रेडर या निवेशक के लिए महत्वपूर्ण होता है l उन्ही कुछ महत्वपूर्ण कारको में से एक है तरलता यानि कि लिक्विडिटी(Liquidity in hindi) l अगर आपने शेयर मार्केट की दुनिया में थोड़ा समय बिताया होगा, तो आपने इसके बारे कभी न कभी जरूर सुना होगा l
लिक्विडिटी शेयर मार्केट में होने वाले निवेश या ट्रेडिंग को सीधे प्रभावित करता है l इसलिए आज के इस लेख में हम जानेंगे कि लिक्विडिटी क्या है?(what is liquidity in hindi) और इससे जुडी हर प्रकार की बातो पर चर्चा करेंगे l
Ι लिक्विडिटी क्या है?(What Is Liquidity In Hindi)
लिक्विडिटी यानि तरलता को अगर आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब है किसी स्टॉक, इंडेक्स, या अन्य एसेट में विक्रेता और खरीददार की संख्या l शेयर मार्केट एक जीरो सम जगह है, यहाँ पर जब कोई किसी शेयर या किसी अन्य एसेट्स को खरीदता है तब उसी समय उस एसेट्स को कोई बेच रहा होता है l और इसी तरह जब आप किसी स्टॉक को बेच रहे होते है, तो उसे कोई खरीदने वाला भी होना चाहिये l
उदहारण के लिए मान लीजिये की आपके पास ABC कंपनी के 50 शेयर्स है, और अब आप उन शेयर्स को बेचना चाहते है l तब जब आप उसे बेचने के लिए आर्डर प्लेस करते है और उस शेयर का खरीददार उसी समय मिल जाता है, तो इसका मतलब है कि उस स्टॉक में लिक्विडिटी ज्यादा है l लेकिन दूसरी तरफ अगर उस शेयर को बेचने में समय लगता है, और खरीददार न मिलने के कारण उसे बाजार के मूल्य से कम कीमत पर बेचना पड़ता है, तो इसका मतलब है कि उस स्टॉक में लिक्विडिटी कम है l यह नियम किसी भी इंडेक्स, स्टॉक या एसेट्स पर लागु होता है l
Ι लिक्विडिटी को प्रभावित करने वाले कारक
लिक्विडिटी कुछ प्रमुख कारको के चलते भी प्रभावित हो जाती है l उनमे से कुछ मुख्य कारक निचे दिए गए है:-
1. बाजार की मौजूदा स्थिति
जब बाजार में कोई अनिश्चित परिस्थिति या अस्थिरता आ जाती है, तो इसका प्रभाव मार्केट में लिक्विडिटी पर पड़ता है l कोई भी निवेशक अक्सर मंदी के दौरान जोखिम कम लेना पसंद करते है, और नए निवेशक उस मंदी और अनिश्चित समय में निवेश करने से डरते है, जिसके कारण बाजार में निवेशकों की कमी हो जाती है और लिक्विडिटी कम हो जाती है l
2. कंपनी का प्रदर्शन और स्थिति
किसी कंपनी का प्रदर्शन भी लिक्विडिटी का मुख्य कारक होता है l जब कोई कंपनी बेहतर प्रदर्शन करती है, या वो कोई बड़ी कंपनी होती है जिसने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो, तो निवेशकों का विश्वास उन कंपनियों के लिए बढ़ जाता है, और ज्यादा निवेशक होने के चलते उसमे लिक्विडिटी भी ज्यादा होती है l इसके विपरीत नयी और छोटी कंपनियां, या कोई ऐसी कंपनी जिसने लगातार बुरा प्रदर्शन किया है, वैसे कंपनियों के शेयर्स में लिक्विडिटी कम होती है l
3. नीति और कानून
बाजार में अक्सर हर वक्त कोई न कोई नियम का कानून आते रहते है, जिनका प्रभाव शेयर मार्केट पर पड़ता है l जब सरकार के द्वारा कोई ऐसा नियम या कानून पारित होता है, जो निवेशकों के पक्ष में नहीं होता है या कठोर होता है, तो उस समय निवेशक निवेश करने से झिझक जाते है, जिससे लिक्विडिटी प्रभावित हो जाती है l
4. ट्रेडिंग वॉल्यूम
ट्रेडिंग वॉल्यूम एक इंडिकेटर होता है जो मार्केट में निवेशकों की संख्या या लेन-देन को दर्शाता है l ट्रेडिंग वॉल्यूम अक्सर लिक्विडिटी से जुड़ा हुआ होता है l अगर किसी स्टॉक या इंडेक्स में वॉल्यूम कम है तो इसका मतलब है की उस समय निवेशक और उनके द्वारा किये जाने वाले लेन-देन की संख्या कम है l इस प्रकार हम ट्रेडिंग वॉल्यूम की मदद से लिक्विडिटी का अंदाजा लगा सकते है l
Ι उच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स की पहचान कैसे करे?
अभी हमने जाना की लिक्विडिटी क्या है (liquidity in hindi)और यह किन कारको से प्रभावित होती है? चलिए अब यह जानने की कोशिश करते है की कोई निवेशक उच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स की पहचान कैसे कर सकता है l
वैसे उच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स को पहचानने के लिए आपको कुछ चीज़ो पर ध्यान देना होगा, जो कि निचे दिए गए है:-
1. बिड-आस्क स्प्रेड का विश्लेषण
बिड और आस्क का विश्लेषण करना उच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स को पहचानने के लिए एक प्रमुख उपाय है l बिड और आस्क का मतलब होता है की जब कोई निवेश किसी शेयर को खरीद रहा है, तो वह उसे कितनी जल्दी मिल जा रहा है l बिड और आस्क के बिच का अंतर लिक्विडिटी की मात्रा को बता सकता है l जिन स्टॉक्स में बिड और आस्क के बीच का अंतर कम होता है, वे स्टॉक अधिक तरल होते है, मतलब की उनमे ज्यादा लिक्विडिटी होती है, और जिन स्टॉक में बिड और आस्क एक बीच का अंतर ज्यादा होता है, तो इसका मतलब है की उसमे लिक्विडिटी कम है l
2. ब्लू-चिप कंपनियां
वैसी कंपनियां जो मार्केट में लगातार बेहतर प्रदर्शन करते आ रही है, और मार्केट की बड़ी और प्रसिद्ध कंपनियां होती है, उन कंपनियों में निवेशकों का विश्वास बना रहता है, जिससे कि उस कंपनी में लिक्विडिटी की मात्रा अधिक रहती है l
3. ट्रेडिंग वॉल्यूम
तरलता को मापने का एक बहुत ही प्रमुख उपाय ट्रेडिंग वॉल्यूम है l ट्रेडिंग वॉल्यूम एक इंडिकेटर होता है, जो मार्केट में हो रहे निवेशकों के बीच लेन-देन की मात्रा को दर्शाता है l जिससे की लिक्विडिटी का अनुमान लगाया जा सकता है l अगर वॉल्यूम ज्यादा हो तो इसका मतलब है कि लिक्विडिटी भी ज्यादा होगी l और अगर ऐसा नहीं होता है तो लिक्विडिटी भी कम होगी l
4. डेरिवेटिव्स की उपस्थिति
जब किसी इंडेक्स या स्टॉक में डेरीवेटिव उपलब्ध होते है, तो उसका मतलब है कि उसमे लिक्विडिटी अच्छी है l डेरिवेटिव्स का मतलब होता है फ्यूचर एंड ऑप्शन , जिनके लिए लिक्विडिटी बहुत आवश्यक है l डेरिवेटिव्स की उपस्थिति यह बतलाती है कि उस स्टॉक में ट्रेडर्स और निवेशक का ध्यान अधिक है l
इस लेख में अभी तक हमने जाना है की लिक्विडिटी का मतलब क्या है (liquidity meaning in hindi) और हम अच्छे लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स को कैसे ढूंढ सकते है ? उच्च लिक्विडिटी के होने से फायदे तो बहुत होते है पर कुछ नुकसान भी होते है l चलिए उन फायदों और नुक़्सानो को निचे दिए गए चार्ट के माध्यम से जानते है:-
तरलता के फायदे(Advantae of liquidity in hindi) | तरलता के नुकसान(disadvantage of liquidity in hindi) |
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1. आसान लेनदेन: लिक्विडिटी अधिक होने से निवेशक जल्दी से संपत्ति को नकदी में बदल सकते हैं। | 1. अस्थिरता: उच्च लिक्विडिटी वाले बाजार अस्थिर हो सकते हैं, जिससे कीमतें तेजी से बदल सकती हैं। |
2. जोखिम कम: तरलता होने से निवेशक बिना मूल्य में बड़ा नुकसान उठाए संपत्ति को बेच सकते हैं। | 2. मूल्य की सटीकता: अधिक लिक्विडिटी के कारण किसी संपत्ति का सही मूल्यांकन करना कठिन हो सकता है। |
3. निवेश में लचीलापन: लिक्विडिटी से निवेशकों को निवेश के नए अवसरों का फायदा उठाने की सुविधा मिलती है। | 3. दीर्घकालिक निवेश पर कम फोकस: लिक्विडिटी अधिक होने से निवेशक अक्सर अल्पकालिक लाभ की ओर ध्यान देते हैं, जिससे दीर्घकालिक योजना प्रभावित हो सकती है। |
4. आपात स्थिति में सहायक: जब नकदी की जरूरत हो, तो लिक्विडिटी तुरंत पूंजी उपलब्ध कराती है। | 4. स्प्रेड बढ़ना: जब बाजार में बहुत अधिक लिक्विडिटी होती है, तो बिड-आस्क स्प्रेड बढ़ सकता है। |
5. बाजार की कुशलता: तरल बाजार में व्यापार की लागत कम होती है और निष्पादन जल्दी हो सकता है। | 5. अत्यधिक ट्रेडिंग: अधिक तरलता से निवेशक बार-बार ट्रेड कर सकते हैं, जिससे उच्च शुल्क और कर लग सकते हैं। |
ऊपर दिए गए चार्ट से आप जान चुके होंगे की उच्च लिक्विडिटी के फायदे होने के साथ साथ उसके कुछ नुकसान भी होते है l
Liquidity In Hindi
निष्कर्ष (Conclusion Of Liquidity In Hindi)
“लिक्विडिटी क्या है(liquidity in hindi)” के इस महत्वपूर्ण लेख में हमने जाना कि लिक्विडिटी स्टॉक मार्केट के लिए एक बहुत ही आवश्यक पहलु है l इसी के मदद से निवेशक अपने निवेश को आसानी से नकदी में बदल पाते है या नया निवेश कर पाते है l इसके साथ ही लिक्विडिटी बाजार में विश्वास और स्थिरता बनाये रखने में भी एक बड़ा योगदान देता है l हमने जाना कि उच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में निवेश करना अक्सर सुरक्षित रहता है, लेकिन अगर लिक्विडिटी कम हो तो मुश्किल हो सकती है l
इसलिए शेयर बाजार में निवेश करने वाले सभी निवेशकों के लिए लिक्विडिटी को समझना अत्यंत आवश्यक है l यह उन्हें जोखिम कम करने Ι साथ ही अच्छा रिटर्न भी दिला सकता है l
हम आशा करते है कि ऊपर दी गयी जानकारी से आपको लिक्विडिटी के बारे में जानने में काफी सहायता मिली होगी l इसी प्रकार के ट्रेडिंग और स्टॉक मार्केट से जुडी हुई ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग wealthpre को सब्सक्राइब करे l
Ι अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ’s Of Liquidity In Hindi)
तरलता (लिक्विडिटी) क्या है ?
किसी स्टॉक में उपस्थित निवेशकों की संख्या को लिक्विडिटी कहा जा सकता है l लिक्विडिटी का मतलब होता है कि किसी स्टॉक को कितनी आसानी से ख़रीदा या बेचा जा सकता है, उसके मूल्य में बिना किसी बदलाव के l
लिक्विडिटी का कम होना बेहतर है या ज्यादा होना?
लिक्विडिटी का ज्यादा होना अक्सर निवेशकों के लिए बेहतर होता है l इससे वे किसी भी स्टॉक को आसानी से बिना किसी देरी के खरीद या बेच सकते है l
लिक्विडिटी को कैसे मापा जाता है?
लिक्विडिटी को मापने के लिए स्टॉक मार्केट में विभिन्न मानदंड होते है, जैसे की ट्रेडिंग वॉल्यूम, ट्रेडो की संख्या या बिड-आस्क स्प्रेड l
क्या उच्च लिक्विडिटी का कोई नुकसान भी होता है?
वैसे तो उच्च लिक्विडटी होना अच्छा माना जाता है, लेकिन इसके कुछ दोष भी होते है, जिनमे से एक प्रमुख है, मार्केट का अस्थिर होना l जिसके कारण इसकी कीमते तेजी से बदलती है l